Monday, 16 October 2017

आइंस्टाइन की लिखी इस चिट्ठी में छुपा है दुनिया की बर्बादी का फ़ॉर्म्युला


आइंस्टाइन ने अगस्त 1939 में एक चिट्ठी लिखी थी. ये चिट्ठी 11 अक्टूबर, 1939 को अपनी मंजिल पर पहुंची. ये चिट्ठी इतिहास के सबसे अहम दस्तावेजों में से एक है. दुनिया आज जिन न्यूक्लियर हथियारों के ढेर पर बैठी है, उसकी बुनियाद में ये चिट्ठी ही है. दुनिया में आज तक केवल दो जगहों पर परमाणु हमले हुए. जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर. ऐटम बमों के इन हमलों से भी आइंस्टाइन का बहुत करीबी रिश्ता था. ये जो इतिहास है, वो 11 अक्टूबर की इस तारीख के साथ नत्थी है.

अल्बर्ट आइंस्टाइन. विज्ञान का सबसे लोकप्रिय चेहरा. E=mc2. इस छोटे से फॉर्मूले ने दुनिया बदल दी. थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी. विश्व की अब तक की सबसे महानतम खोजों में से एक. इसी के दम पर आइंस्टाइन को अब तक का महानतम वैज्ञानिक मानते हैं. आइंस्टाइन निर्माण में यकीन करते थे. खुद को अमनपसंद, शांतिवादी कहते थे. वो थे भी. 1929 में आइंस्टाइन ने कहा था. अगर युद्ध छिड़ता है, तो वो वॉर सर्विस नहीं करेंगे. ना प्रत्यक्ष, ना अप्रत्यक्ष. उन्होंने कहा था:

भले ही लोग कहें कि युद्ध करने की वजह बहुत महान है, मैं तब भी जंग में शामिल नहीं होऊंगा.

शांति में यकीन रखने वाले महानतम वैज्ञानिक ने क्यों लिखी ऐसी चिट्ठी
जंग को नापसंद करने वाले आइंस्टाइन को जंग ने ही बदला. दूसरे विश्व युद्ध ने. वो अब भी शांति की वकालत करते थे, पर थोड़े बदल गए थे. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट को एक चिट्ठी लिखी थी. आइंस्टाइन ने 2 अगस्त, 1939 को ये चिट्ठी लिखी थी. रूजवेल्ट को ये 11 अक्टूबर को मिली. इसमें उन्होंने रूजवेल्ट को परमाणु बम विकसित करने की सलाह दी थी. उन्होंने रूजवेल्ट को आगाह किया. बताया कि शायद जर्मनी न्यूक्लियर बम विकसित कर रहा है. दिलचस्प तो ये भी है कि आइंस्टाइन खुद भी जर्मनी के ही थे. सोचने की बात है. इतना अमनपसंद इंसान न्यूक्लियर बम बनाने की सलाह दे रहा था!

आइंस्टाइन को जिंदगी भर इसका अफसोस रहा
दूर से ही सही, लेकिन परमाणु बम से हुई बर्बादी के साथ आइंस्टाइन का नाम भी हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया. उन्हें जिंदगी भर इसका अफसोस रहा. जब अमेरिका ने नागासाकी और हिरोशिमा पर न्यूक्लियर बम गिराया, तो आइंस्टाइन बहुत दुखी हुए थे. उन्होंने एक लेख भी लिखा था. परमाणु बम से होने वाली उस तबाही में अपनी भूमिका को लेकर. वो लेख आपको बाद में पढ़ाएंगे. अभी पढ़िए आइंस्टाइन की वो चिट्ठी, जिससे शुरू हुआ विनाशकारी सफर कभी खत्म नहीं हुआ. इस चिट्ठी ने दुनिया में ऐसी न्यूक्लियर दौड़ शुरू की, जो चाहे तो सब हमेशा-हमेशा के लिए बर्बाद कर दे. इसके बाद ही अमेरिका ने प्रॉजेक्ट मैनहटन शुरू किया. 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर जो ऐटम बम गिरा, उसका कोड नाम ‘लिटिल बॉय’था. 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर ‘फैट मैन’ गिराया गया. इन दोनों बमों का सफर आइंस्टाइन के हाथों लिखी चिट्ठी के साथ ही शुरू हुआ था. पढ़िए, आइंस्टाइन की उस चिट्ठी का हिंदी तर्जुमा.

 अल्बर्ट आइंस्टाइन
ओल्ड ग्रोव रोड
नासू पॉइंट
पेकोनिक, लॉन्ग आइलैंड
2 अगस्त, 1939

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